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Kuch log ese hote hai jo itihash padhte hai,Kuch Ithihash Padhate hai, Kuch ese hote hai Jo NYDC mein aate hai Or Khud Itihash Banate Hai. Jai Hind Jai Bharat!...Khem Chand Rajora....A Great Leader's Courage to fulfill his Vision comes from Passion, not Position...Gajendra Kumar....National Youth Development Committee is a Platform which remove the hesitation and improve the motivation and talent of the Youth...Manu Kaushik..!!

About Manu

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मैं अपने प्यारे भारत को स्वर्ग से भी सुंदर बनाना चाहता हूँ जहाँ देवता भी आने को तरसें..इसे फ़िर से सोने की चिडि़या और विश्वगुरु बनाना चाहता हूँ ना सिर्फ़ धर्म के मामले में बल्कि हरेक क्षेत्र में..अपने देश को मैं फ़िर से इतना शक्तिशाली बना देना चाहता हूँ कि अगर ये जम्हाई भी ले ले तो पूरे विश्व में तूफ़ान आ जाय. मैं अपने भारतवर्ष ,अपने माता-पिता तथा सनातन वैदिक धर्म से अगाध प्रेम और सम्मान करता हूँ |
हमारे बारे में, हम बताएँगे, फिर भी, क्या आप समझ पाएंगे, नहीं न, फिर क्या, हम बताते आप उलझ जाते, आप समझते तो हम मुकर जाते, क्यूंकि अब किसी को किसी के बारे में जानने की, न तो चाहत है और न ही फुर्सत है |
वन्दे मातरम्... जय हिंद... जय भारत...
कोशिश तो कोई करके देखे,यहाँ सपने भी सच होते है ।
ये दुनिया इतनी बुरी नहीं, कुछ लोग अच्छे भी होते है ।।
~ मनु कौशिक

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Monday 20 August 2012

वह ख़ून कहो किस मतलब का..

वह ख़ून कहो किस मतलब का...??? =================== वह ख़ून कहो किस मतलब का, जिसमें उबाल का नाम नहीं वह ख़ून कहो किस मतलब का, आ सके देश के काम नहीं वह ख़ून कहो किस मतलब का, जिसमें जीवन नरवानी है जो परवश होकर बहता है, वह ख़ून नहीं पानी है उस दिन लोगों ने सही-सही, ख़ूँ की क़ीमत पहचानी थी जिस दिन सुभाष ने बर्मा में, मांगी उनसे क़ुर्बानी थी बोले स्वतन्त्रता की ख़ातिर, बलिदान तुम्हें करना होगा तुम बहुत जी चुके हो जग में, लेकिन आगेमरना होगा आज़ादी के चरणों में, जो जयमाल चढ़ाई जाएगी वह सुनो! तुम्हारे शीषों के फूलों से गूँथी जाएगी आज़ादी का संग्राम कहीं, पैसे पर खेला जाता है यह शीश कटाने का सौदा, नंगे सर झेला जाता है आज़ादी का इतिहास, नहीं काली स्याही लिख पाती है इसको लिखने के लिए, ख़ून की नदी बहाई जाती है यूँ कहते-कहते वक्ता की, आँखों में ख़ून उतर आया मुख रक्तवर्ण हो गया, दमक उठी उनकी स्वर्णिम काया आजानु बाँहु ऊँची करके, वे बोले रक्त मुझे देना उसके बदले में, भारत की आज़ादी तुम मुझसे लेना हो गई सभा में उथल-पुथल, सीने में दिल न समाते थे स्वर इंक़लाब के नारों के, कोसों तक छाएजाते थे ‘हम देंगे-देंगे ख़ून’- शब्द बस यही सुनाई देते थे रण में जाने को युवक खड़े तैयार दिखाई देते थे बोले सुभाष- इस तरह नहीं बातों से मतलब सरता है लो यह काग़ज़, है कौन यहाँ आकर हस्ताक्षरकरता है इसको भरने वाले जन को, सर्वस्व समर्पण करना है अपना तन-मन-धन-जन-जीव न, माता को अर्पण करना है पर यह साधारण पत्र नहीं, आज़ादी का परवाना है इस पर तुमको अपने तन का, कुछ उज्ज्वल रक्त गिराना है वह आगे आए, जिसके तन में ख़ून भारतीय बहता हो वह आगे आए, जो अपने को हिन्दुस्तानी कहता हो वह आगे आए, जो इस पर ख़ूनी हस्ताक्षर देता हो मैं क़फ़न बढ़ाता हूँ; आए जो इसको हँसकर लेता हो सारी जनता हुंकार उठी- ‘हम आते हैं, हम आते हैं’ माता के चरणों में यह लो, हम अपना रक्तचढ़ाते हैं साहस से बढ़े युवक उस दिन, देखा बढ़ते हीआते थे और चाकू, छुरी, कटारों से, वे अपना रक्तगिराते थे फिर उसी रक्त की स्याही में, वे अपनी क़लम डुबोते थे आज़ादी के परवाने पर, हस्ताक्षर करते जाते थे उस दिन तारों ने देखा था, हिन्दुस्तानी विश्वास नया जब लिखा था रणवीरों ने, ख़ूँ से अपना इतिहास नया! जय हिंद! जय भारत

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