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Kuch log ese hote hai jo itihash padhte hai,Kuch Ithihash Padhate hai, Kuch ese hote hai Jo NYDC mein aate hai Or Khud Itihash Banate Hai. Jai Hind Jai Bharat!...Khem Chand Rajora....A Great Leader's Courage to fulfill his Vision comes from Passion, not Position...Gajendra Kumar....National Youth Development Committee is a Platform which remove the hesitation and improve the motivation and talent of the Youth...Manu Kaushik..!!

About Manu

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मैं अपने प्यारे भारत को स्वर्ग से भी सुंदर बनाना चाहता हूँ जहाँ देवता भी आने को तरसें..इसे फ़िर से सोने की चिडि़या और विश्वगुरु बनाना चाहता हूँ ना सिर्फ़ धर्म के मामले में बल्कि हरेक क्षेत्र में..अपने देश को मैं फ़िर से इतना शक्तिशाली बना देना चाहता हूँ कि अगर ये जम्हाई भी ले ले तो पूरे विश्व में तूफ़ान आ जाय. मैं अपने भारतवर्ष ,अपने माता-पिता तथा सनातन वैदिक धर्म से अगाध प्रेम और सम्मान करता हूँ |
हमारे बारे में, हम बताएँगे, फिर भी, क्या आप समझ पाएंगे, नहीं न, फिर क्या, हम बताते आप उलझ जाते, आप समझते तो हम मुकर जाते, क्यूंकि अब किसी को किसी के बारे में जानने की, न तो चाहत है और न ही फुर्सत है |
वन्दे मातरम्... जय हिंद... जय भारत...
कोशिश तो कोई करके देखे,यहाँ सपने भी सच होते है ।
ये दुनिया इतनी बुरी नहीं, कुछ लोग अच्छे भी होते है ।।
~ मनु कौशिक

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Tuesday, 21 August 2012

नेताजी सुभाष चन्द्र बोसे एक क्रांति का नाम है -भाग 2




शत शत नमन नेताजी सुभाष चन्द्र बोसे  (23 जनवरी 1897  - मृत्यु विवादित)
जो नेताजी नाम से भी जाने जाते हैं, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद
हिन्द फौज का गठन किया था। “जय हिन्द” के नारे की शुरूआत जिनसे होती है उन क्रांतिकारी का
नाम है चेम्बाकरमण पिल्लई गुलामी के के आदी हो चुके देशवासियोंa1987: नेताजी सुभाषचंद्र बोस
का जन्‍म 23 जनवरी, 1897 को जानकी नाथ बोस और श्रीमती प्रभावती देवी के घर में हुआ था।


collage ke samay

1913: उन्‍होंने 1913 में अपनी कॉलेज शिक्षा की शुरुआत की और कलकत्‍ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।

1915: सन् 1915 में उन्‍होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण की।

1916: ब्रिटिश प्रोफेसर के साथ दुर्व्‍यवहार के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

1917: सुभाषचंद्र ने 1917 में स्‍कॉटिश चर्च कॉलेज में फिलॉसफी ऑनर्स में प्रवेश लिया।

1919: फिलॉसफी ऑनर्स में प्रथम स्‍थान अर्जित करने के साथ आईसीएस परीक्षा देने के लिए इंग्‍लैण्‍ड रवाना हो गए।

1920: सुभाषचंद्र बोस ने अँग्रेजी में सबसे अधिक अंक के साथ आईसीएस की परीक्षा न केवल उत्‍तीर्ण की,
            बल्‍कि चौथा स्‍थान भी प्राप्‍त किया।

1920: उन्‍हें कैंब्रिज विश्‍वविद्यालय की प्रतिष्‍ठित डिग्री प्राप्‍त हुई।


1920_subhash_chandra_bose_after graduation

1921: अँग्रेजों ने उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया। 1922: 1 अगस्‍त, 1922 को जेल से बाहर आए और देशबंधु
           चितरंजनदास की अगुवाई में गया काँग्रेस अधिवेशन में स्‍वराज दल में शामिल हो गए।

1923: सन 1923 में वह भारतीय युवक काँग्रेस के अध्‍यक्ष चुने गए। इसके साथ ही बंगाल काँग्रेस के सचिव भी
           चुने गए। उन्‍होंने देशबंध की स्‍थापित पत्रिका ‘फॉरवर्ड’ का संपादन करना शुरू किया।

1924: स्‍वराज दल को कलकत्‍ता म्‍युनिपल चुनाव में भारी सफलता मिली। देशबंधु मेयर बने और सुभाषचंद्र बोस
           को मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी मनोनीत किया गया। सुभाष के बढ़ते प्रभाव को अँग्रेजी सरकार बरदाश्‍त नहीं
           कर सकी और अक्‍टूबर में ब्रिटिश सरकार ने एक बार फिर उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया।

1925: देशबंधु का निधन हो गया।

1927: नेताजी, जवाहरलाल नेहरू के साथ अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के साधारण सचिव चुने गए।



1928: स्‍वतंत्रता आंदोलन को धार देने के लिए उन्‍होंने भारतीय काँग्रेस के कलकत्‍ता अधिवेशन के दौरान
           स्‍वैच्‍छिक संगठन गठित किया। नेताजी इस संगठन के जनरल ऑफिसर इन कमांड चुने गए।

1930: उन्‍हें जेल भेज दिया गया। जेल में रहने के दौरान ही उन्‍होंने कलकत्‍ता के मेयर का चुनाव जीता।

1931: 23 मार्च, 1931 को भगतसिंह को फाँसी दे दी गई, जो कि नेताजी और महात्‍मा गाँधी में मतभेद का
           कारण बनी।

1932-1936: नेताजी ने भारत की आजादी के लिए विदेशी नेताओं से दबाव डलवाने के लिए इटली में मुसोलनी,
                       जर्मनी में फेल्‍डर, आयरलैंड में वालेरा और फ्रांस में रोमा रोनांड से मुलाकात की।
1936: 13 अप्रैल, 1936 को भारत आने पर उन्‍हें बंबई में गिरफ्तार कर लिया गया।

1936-37: रिहा होने के बाद उन्‍होंने यूरोप में ‘इंडियन स्‍ट्रगल’ प्रकाशित करना शुरू किया।

1938: हरिपुर अधिवेशन में काँग्रेस अध्‍यक्ष चुने गए। इस बीच शांति निकेतन में रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्‍हें
            सम्‍मानित किया।

1939: महात्‍मा गाँधी के उम्‍मीदवार सीतारमैया को हराकर एक बार फिर काँग्रेस के अध्‍यक्ष बने। बाद में उन्‍होंने
           फॉरवर्ड ब्‍लॉक की स्‍थापना की।


congres ki sabha ke dauran

1940: उन्‍हें नजरबंद कर दिया गया। इस बीच उपवास के कारण उनकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

1941: एक नाटकीय घटनाक्रम में वह 7 जनवरी, 1941 को गायब हो गए और अफगानिस्‍तान और रूस
           होते हुए जर्मनी पहुँचे।

1941: 9 अप्रैल, 1941 को उन्‍होंने जर्मन सरकार को एक मेमोरेंडम सौंपा, जिसमें एक्‍सिस पॉवर और भारत
           के बीच परस्‍पर सहयोग को संदर्भित किया गया था। सुभाषचंद्र बोस ने इसी साल नवंबर में स्‍वतंत्र भारत
           केंद्र और स्‍वतंत्र भारत रेडियो की स्‍थापना की।

1943: वह नौसेना की मदद से जापान पहुँचे और वहाँ पहुँचकर उन्‍होंने टोक्‍यो रेडियो से भारतवासियों को संबोधित
           किया। 21 अक्‍टूबर, 1943 को आजाद हिन्‍द सरकार की स्‍थापना की और इसकी स्‍थापना अंडमान और निकोबार
           में की गई, जहाँ इसका शहीद और स्‍वराज नाम रखा गया।

1944: आजाद हिन्‍द फौज अराकान पहुँची और इंफाल के पास जंग छिड़ी। फौज ने कोहिमा (इंफाल) को अपने कब्‍जे में
           ले लिया।


subhash chandr bose family

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