अत्यधिक सक्रियता के इस युग में विश्राम का अपना महत्व है। लेकिन यदि ठीक से न समझा जाए तो विश्राम आलस्य में बदल जाता है और आलस्य अपराध है। सुंदरकांड में हनुमानजी जब लंका की ओर उड़ चले तो मार्ग में उनके समक्ष पहली बाधा मैनाक पर्वत के रूप में आई थी।
बीच समुद्र में यह सोने का पर्वत प्रकट हुआ और उसने हनुमानजी से कहा - आप थक गए होंगे, मेरे ऊपर विश्राम कर लीजिए। उस समय हनुमानजी ने उस पर्वत को उत्तर दिया - हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां बिश्राम।। हनुमानजी ने उसे हाथ से छुआ, फिर प्रणाम करके कहा - भाई! श्रीरामचंद्रजी का काम किए बिना मुझे विश्राम कहां? यहां एक बड़ी सीख हनुमानजी हमें यह दे रहे हैं कि मैनाक पर्वत का अर्थ है सुख-सुविधा, भोग-विलास।
जब आप अपने कर्म की यात्रा पर निकलते हैं तो पहली बाधा यही आती है। हनुमानजी ने उसे धन्यवाद दिया और कहा - मैं आपके ऊपर विश्राम नहीं कर सकता क्योंकि मुझे मेरा लक्ष्य याद है और वह है राम काज। उन्होंने हमें बताया है कि सुख-सुविधाओं का जीवन में उपयोग करना चाहिए, लेकिन उन्हीं पर टिक जाएं, यह ठीक नहीं। आज के समय में सुख-सुविधाएं अथवा विलासिता की वस्तुएं मैनाक पर्वत के समान हैं। इनका सीमित उपयोग करें, लेकिन अपने लक्ष्य को न भूलें। हनुमानजी सिखाते हैं कि अपने लक्ष्य पर सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए।
बीच समुद्र में यह सोने का पर्वत प्रकट हुआ और उसने हनुमानजी से कहा - आप थक गए होंगे, मेरे ऊपर विश्राम कर लीजिए। उस समय हनुमानजी ने उस पर्वत को उत्तर दिया - हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां बिश्राम।। हनुमानजी ने उसे हाथ से छुआ, फिर प्रणाम करके कहा - भाई! श्रीरामचंद्रजी का काम किए बिना मुझे विश्राम कहां? यहां एक बड़ी सीख हनुमानजी हमें यह दे रहे हैं कि मैनाक पर्वत का अर्थ है सुख-सुविधा, भोग-विलास।
जब आप अपने कर्म की यात्रा पर निकलते हैं तो पहली बाधा यही आती है। हनुमानजी ने उसे धन्यवाद दिया और कहा - मैं आपके ऊपर विश्राम नहीं कर सकता क्योंकि मुझे मेरा लक्ष्य याद है और वह है राम काज। उन्होंने हमें बताया है कि सुख-सुविधाओं का जीवन में उपयोग करना चाहिए, लेकिन उन्हीं पर टिक जाएं, यह ठीक नहीं। आज के समय में सुख-सुविधाएं अथवा विलासिता की वस्तुएं मैनाक पर्वत के समान हैं। इनका सीमित उपयोग करें, लेकिन अपने लक्ष्य को न भूलें। हनुमानजी सिखाते हैं कि अपने लक्ष्य पर सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए।
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