सन सैंतालिस में किसने धोखा दिया ?
जबकि देश ने इन पर भरोसा किया ॥
बेरोजगारी,महँगाई से जनता है त्रस्त ।
अन्न सड़ रहा गोदामों में नेता हो गए भ्रष्ट ॥
ये कैसी आजादी – कैसा कानून ?
क्या इसके लिए दिया था देशभक्तों ने खून ?
एक होंगे --- एक रहेंगे ।
न लुटेंगे न लूटने देंगे ॥
जब-जब जनता जागी है ,
भ्रष्टों-दुष्टों की जमात भागी है॥
इन दुष्टों को समझ में नहीं आता है ।
ये देश मात्र जमीन नहीं हमारी माता है ॥
इस देश के टुकड़े किसने किये ?
चाचा जी जब जिद्द पर अड़े ॥
कौन देश भक्त कौन गद्दार।
जान गयी जनता हो गयी समझदार॥
अपने देश में हैं-अपने बैंक,
क्यों बुलाये विदेशी बैंक ?
देशभक्त जनता का समर्थन ।
अब हो सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन॥
जो अब भी चेता नहीं ।
वो भारत माँ का बेटा नहीं ॥
जो नहीं देश और भगवान का ।
वो नेता नहीं हमारे काम का ॥
देश भक्तों का अभियान ।
भारत स्वाभिमान ॥
ऋषियों के वंशज समझ रहे हैं ।
असुरों के वंशज भड़क रहे हैं ॥
भ्रष्टाचार को संस्कार मत बनाओ।
पिछलग्गुओ होश में आओ होश में आओ॥
जागो सोने वालों जागो, अपनी जिम्मेदारियों से मत भागो ॥
गाँधी जी की नहीं सुनी 47 में कौन था वो बेईमान ?
बताओ खानदानी नेताओ पूछ रहा है हिंदुस्तान ॥
सन ४७ में किसने निभाई अपनी यारी ?
बापू को दिया धोखा देश से की गद्दारी॥
देशी शिक्षा देशी कानून ।
नहीं सहेंगे अब विदेशी जूनून ॥
कैसा होगा अपना देश ?
दुष्टों को फांसी होगी, भेड़िया नहीं बदलेगा भेष ॥
दुष्टो तुमको शर्म न आई ।
देशभक्तों पर तोहमत लगायी ॥
याद करो ध्रुव और प्रह्लाद को ।
सत्य के लिए छोड़ दिया था बाप को ॥
स्वामीजी तो भारत माँ के लाल हैं।
भ्रष्टों-दुष्टों हेतु बनकर आये काल हैं ॥
ये राजनीति नहीं अन्याय है।
भ्रष्टों गुंडों का व्यवसाय है॥
भ्रष्टो कुछ तो शर्म करो। शर्म करो शर्म करो ।
शर्म नहीं तो डूब मरो॥ डूब मरो डूब मरो
*साभार Shri Shankar Dutt Fulara
आभारी अनिल गायकवाड
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