एक बार प्रसिद्ध विचारक स्वेट मार्डेन के पास एक व्यक्ति आया और बोला, 'सर, मैं काम करने की इच्छा रखता हूं, लक्ष्य भी मैंने निर्धारित कर लिया है और उसके लिए आवश्यक साधन भी मेरे पास उपलब्ध हैं, फिर भी न जाने क्यों मुझे मेरे कार्य में शत-प्रतिशत सफलता नहीं मिलती।
यदि मैं काम न करूं तो असफल होने की बात मेरी समझ में आती है, मगर काम करते रहने पर भी नाकामयाब होते रहने की बात मेरी समझ से परे है।' उस व्यक्ति की बात सुनकर स्वेट मार्डेन बोले, 'तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर बेहद सरल है। फिर भी मैं तुम्हें इसका जवाब एक उदाहरण देकर समझाता हूं। उदाहरण से तुम भलीभांति समझ जाओगे कि तुम्हारे काम में क्या कमी रह जाती है।'
व्यक्ति बोला, 'हां, आप मुझे अवश्य बताएं ताकि मैं अपने में सुधार कर सकूं।' स्वेट मार्डेन बोले, 'बहुत से लोग अपने जीवन की गाड़ी को गुनगुने पानी में चलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे यह नहीं जानते कि पानी को जब तक 212 फारेनहाइट तक गर्म न किया जाए उसमें भाप नहीं बनती है और जब तक पानी में भाप न बने तब तक इंजन गाड़ी को नहीं खींच सकता।'
उदाहरण सुनकर वह व्यक्ति आश्चर्य से बोला, 'इंजन का मेरे काम से क्या संबंध है?' स्वेट मार्डेन बोले, 'भाई, बहुत ही गहरा संबंध है। तुम्हारे काम में उत्साह की कमी ठीक उसी तरह असर करती है, जिस तरह गुनगुना पानी इंजन के बायलर पर। जब तक पानी 212 फारेनहाइट तक गर्म नहीं हो जाता, तब तक वह इंजन को नहीं खींच सकता। उसी तरह जब तक तुम अपने काम में संपूर्ण आत्मशक्ति और एकाग्रता नहीं झोंक देते तब तक सफलता तुमसे दूर रहेगी। सारे साधन उपलब्ध होने पर भी मंद गति से काम करने पर मंजिल तक पहुंचना कठिन है।'
युवक ने उसी क्षण निश्चय किया कि अब वह अपने उत्साह को गुनगुने पानी की तरह मंद नहीं पड़ने देगा और सफलता पाकर रहेगा।
यदि मैं काम न करूं तो असफल होने की बात मेरी समझ में आती है, मगर काम करते रहने पर भी नाकामयाब होते रहने की बात मेरी समझ से परे है।' उस व्यक्ति की बात सुनकर स्वेट मार्डेन बोले, 'तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर बेहद सरल है। फिर भी मैं तुम्हें इसका जवाब एक उदाहरण देकर समझाता हूं। उदाहरण से तुम भलीभांति समझ जाओगे कि तुम्हारे काम में क्या कमी रह जाती है।'
व्यक्ति बोला, 'हां, आप मुझे अवश्य बताएं ताकि मैं अपने में सुधार कर सकूं।' स्वेट मार्डेन बोले, 'बहुत से लोग अपने जीवन की गाड़ी को गुनगुने पानी में चलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे यह नहीं जानते कि पानी को जब तक 212 फारेनहाइट तक गर्म न किया जाए उसमें भाप नहीं बनती है और जब तक पानी में भाप न बने तब तक इंजन गाड़ी को नहीं खींच सकता।'
उदाहरण सुनकर वह व्यक्ति आश्चर्य से बोला, 'इंजन का मेरे काम से क्या संबंध है?' स्वेट मार्डेन बोले, 'भाई, बहुत ही गहरा संबंध है। तुम्हारे काम में उत्साह की कमी ठीक उसी तरह असर करती है, जिस तरह गुनगुना पानी इंजन के बायलर पर। जब तक पानी 212 फारेनहाइट तक गर्म नहीं हो जाता, तब तक वह इंजन को नहीं खींच सकता। उसी तरह जब तक तुम अपने काम में संपूर्ण आत्मशक्ति और एकाग्रता नहीं झोंक देते तब तक सफलता तुमसे दूर रहेगी। सारे साधन उपलब्ध होने पर भी मंद गति से काम करने पर मंजिल तक पहुंचना कठिन है।'
युवक ने उसी क्षण निश्चय किया कि अब वह अपने उत्साह को गुनगुने पानी की तरह मंद नहीं पड़ने देगा और सफलता पाकर रहेगा।
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