नदी किनारे एक गेंदे का पौधा उपज आया .. कुछ
दिनों बाद उसमें फ़ूल आ गया .. चहकता,
खिलता हुआ फ़ूल नदी में पडे एक पत्थर को देख कर
बोला - " मुझे तुम्हारी स्थिति पर बडा तरस
आता है दिन रात पानी के बहाव में घिसते जाते
हो घिसते जाते हो ... कैसा जीवन है तुम्हारा " ...
पत्थर ने कुछ नहीं कहा और बात
आयी गयी हो गयी । कुछ दिन बाद वही फ़ूल एक
पूजा की थाली में था और खुद को सोने के सिंहासन
पर विराजमान शालिग्राम भगव
दिनों बाद उसमें फ़ूल आ गया .. चहकता,
खिलता हुआ फ़ूल नदी में पडे एक पत्थर को देख कर
बोला - " मुझे तुम्हारी स्थिति पर बडा तरस
आता है दिन रात पानी के बहाव में घिसते जाते
हो घिसते जाते हो ... कैसा जीवन है तुम्हारा " ...
पत्थर ने कुछ नहीं कहा और बात
आयी गयी हो गयी । कुछ दिन बाद वही फ़ूल एक
पूजा की थाली में था और खुद को सोने के सिंहासन
पर विराजमान शालिग्राम भगव
ान पर चढने के
लिये तैय्यार था अचानक उसकी नजर शालिग्राम
भगवान पर पडी और यह वही पत
्थर था जिसके प्रति उसने हेय भावना रखी थी ...
फूल मन मसोस कर रह गया और जब अगले दिन उसे
शालिग्राम भगवान के चरणों से साफ़
किया जा रहा था तभी वह पत्थर
जो शालिग्राम भगवान बन चुका था बोला -
" मित्र पुष्प ! जीवन में जो घिस घिस कर
परिष्कृत और परिमार्जित होते हैं
वहीं धन्यता की सीढियां चढते हैं और दूसरों के
प्रति हेय भावना रखने वाले उन्हे तुच्छ समझने
वालों को अंत में लज्जित ही होना पडता हैं ।
लिये तैय्यार था अचानक उसकी नजर शालिग्राम
भगवान पर पडी और यह वही पत
्थर था जिसके प्रति उसने हेय भावना रखी थी ...
फूल मन मसोस कर रह गया और जब अगले दिन उसे
शालिग्राम भगवान के चरणों से साफ़
किया जा रहा था तभी वह पत्थर
जो शालिग्राम भगवान बन चुका था बोला -
" मित्र पुष्प ! जीवन में जो घिस घिस कर
परिष्कृत और परिमार्जित होते हैं
वहीं धन्यता की सीढियां चढते हैं और दूसरों के
प्रति हेय भावना रखने वाले उन्हे तुच्छ समझने
वालों को अंत में लज्जित ही होना पडता हैं ।
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