सामान्य रूप से माना जाता है कि संकट यदि आए, तो प्रगति में बाधा आ जाती है। इसलिए लोग संकटों से बचना चाहते हैं, लेकिन अब समय बदल गया है। पहले चुनिंदा लोग योग्य होते थे और अब योग्य लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
अधिकांश लोग खूब परिश्रम कर रहे हैं। सफलता हासिल करने के सूत्र सामान्य लोगों के हाथ में भी पहुंच गए हैं। ऐसे में सीधे-सीधे चलकर कामयाब होना कठिन है। इसका अर्थ यह नहीं कि गलत मार्ग अपना लिया जाए। इसका अर्थ यह है कि हमेशा सेफ गेम नहीं खेला जा सकता।
लाइफ में रिस्क फेक्टर जरूरी हो गया है। आप कितना जोखिम उठा सकते हैं इससे आपकी सफलता दूसरों के मुकाबले अधिक सुनिश्चित होगी। जीवन के खतरे जीवन को और गहरा बनाएंगे। अधिकांश लोगों की नजर में जिंदगी का अर्थ है लंबाई से जीना, लेकिन जितना आपका परिचय अध्यात्म से होगा, आप समझ जाएंगे कि जीवन लंबाई और चौड़ाई से ज्यादा गहराई और ऊंचाई का मामला है।
सागर की तरह गहरा उतरना होगा और पहाड़ की तरह ऊंचाई जीवन में लाना होगी। इन दोनों के साथ किसी भी खतरे का सामना करने के लिए हम सक्षम होंगे। इसे कहते हैं जिसके पास प्रशांत महासागर की गहराई होगी और गौरीशंकर की तरह पर्वत का शिखर होगा, वह लाइफ में कैसी भी रिस्क लेने के लिए घबराएगा नहीं।
जो लोग जीवन में रिस्क लेना चाहते हैं वे दो बातें ध्यान में रखें- पहली, अपने ऊपर भरपूर भरोसा रखने के बाद भी इस बात का विश्वास हो कि हमसे हटकर और बढ़कर भी कोई परमशक्ति है, उस पर भी भरोसा रखा जाए। दूसरी बात, उसे जबर्दस्त संयम बरतना होगा।
परिश्रम, समय, एकाग्रता की बचत करना होगी और इन्हें अपने विचारों से लगातार जोड़े रखना होगा। इन दो बातों के साथ रिस्क फेक्टर, जोखिम कम और सफलता का तरीका अधिक बन जाएगा। भरोसे का अर्थ है भगवान से जुड़ना और संयम का अर्थ है तन, मन, धन के प्रति नैतिक प्रतिबद्धता।
यदि हम तन से कमजोर हैं, तो मन और धन लाभ नहीं पहुंचा पाएंगे। मन से कमजोर हैं, तो तन और धन बोझ बन जाएंगे। तन, मन और धन का संतुलित संयम न हो, तो जीवन गीली लकड़ी से उठ रहे धुंए के समान हो जाएगा।
जब हम देखते हैं कि आग में से धुआं उठ रहा है, तो हम मान लेते हैं कि धुआं अग्नि का हिस्सा है, लेकिन ऐसा है नहीं। यदि लकड़ी गीली है, तो ही धुआं उठेगा, आग का उससे कोई लेना-देना नहीं है, आग हमेशा आग ही रहेगी।
असंतुलित जीवन गीली लकड़ी की तरह है, इससे धुआं ही उठेगा, अग्नि प्रज्वलित नहीं होगी। भरोसा और संयम जीवन में किसी भी रिस्क को लेने में काम आएगा और जितना रिस्क फेक्टर मजबूत है, कामयाबी उतनी अनूठी होगी।
अधिकांश लोग खूब परिश्रम कर रहे हैं। सफलता हासिल करने के सूत्र सामान्य लोगों के हाथ में भी पहुंच गए हैं। ऐसे में सीधे-सीधे चलकर कामयाब होना कठिन है। इसका अर्थ यह नहीं कि गलत मार्ग अपना लिया जाए। इसका अर्थ यह है कि हमेशा सेफ गेम नहीं खेला जा सकता।
लाइफ में रिस्क फेक्टर जरूरी हो गया है। आप कितना जोखिम उठा सकते हैं इससे आपकी सफलता दूसरों के मुकाबले अधिक सुनिश्चित होगी। जीवन के खतरे जीवन को और गहरा बनाएंगे। अधिकांश लोगों की नजर में जिंदगी का अर्थ है लंबाई से जीना, लेकिन जितना आपका परिचय अध्यात्म से होगा, आप समझ जाएंगे कि जीवन लंबाई और चौड़ाई से ज्यादा गहराई और ऊंचाई का मामला है।
सागर की तरह गहरा उतरना होगा और पहाड़ की तरह ऊंचाई जीवन में लाना होगी। इन दोनों के साथ किसी भी खतरे का सामना करने के लिए हम सक्षम होंगे। इसे कहते हैं जिसके पास प्रशांत महासागर की गहराई होगी और गौरीशंकर की तरह पर्वत का शिखर होगा, वह लाइफ में कैसी भी रिस्क लेने के लिए घबराएगा नहीं।
जो लोग जीवन में रिस्क लेना चाहते हैं वे दो बातें ध्यान में रखें- पहली, अपने ऊपर भरपूर भरोसा रखने के बाद भी इस बात का विश्वास हो कि हमसे हटकर और बढ़कर भी कोई परमशक्ति है, उस पर भी भरोसा रखा जाए। दूसरी बात, उसे जबर्दस्त संयम बरतना होगा।
परिश्रम, समय, एकाग्रता की बचत करना होगी और इन्हें अपने विचारों से लगातार जोड़े रखना होगा। इन दो बातों के साथ रिस्क फेक्टर, जोखिम कम और सफलता का तरीका अधिक बन जाएगा। भरोसे का अर्थ है भगवान से जुड़ना और संयम का अर्थ है तन, मन, धन के प्रति नैतिक प्रतिबद्धता।
यदि हम तन से कमजोर हैं, तो मन और धन लाभ नहीं पहुंचा पाएंगे। मन से कमजोर हैं, तो तन और धन बोझ बन जाएंगे। तन, मन और धन का संतुलित संयम न हो, तो जीवन गीली लकड़ी से उठ रहे धुंए के समान हो जाएगा।
जब हम देखते हैं कि आग में से धुआं उठ रहा है, तो हम मान लेते हैं कि धुआं अग्नि का हिस्सा है, लेकिन ऐसा है नहीं। यदि लकड़ी गीली है, तो ही धुआं उठेगा, आग का उससे कोई लेना-देना नहीं है, आग हमेशा आग ही रहेगी।
असंतुलित जीवन गीली लकड़ी की तरह है, इससे धुआं ही उठेगा, अग्नि प्रज्वलित नहीं होगी। भरोसा और संयम जीवन में किसी भी रिस्क को लेने में काम आएगा और जितना रिस्क फेक्टर मजबूत है, कामयाबी उतनी अनूठी होगी।
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