बहुत पुरानी कथा है। किसी गांव में एक बड़ा ही होशियार लड़का रहता था। वह नई-नई चीजें सीखने में लगा रहता था। उसने एक तीर बनाने वाले से तीर बनाना सीखा, नाव बनाने वाले से नाव बनाने की कला सीखी। मूर्तिकार से मूर्तिकला की जानकारी हासिल की। इस तरह धीरे-धीरे वह एक के बाद एक बहुत सी कलाएं सीख गया। लेकिन उसे इस बात का अहंकार हो गया।
वह हमेशा सबसे कहता फिरता, 'मेरे बराबर दुनिया में कोई गुणवान नहीं है।' संयोग से उन्हीं दिनों गौतम बुद्ध घूमते हुए वहां आ पहुंचे। उन्हें जब उस लड़के के बारे में पता चला तो वह भिक्षापात्र लेकर उसके पास पहुंच गए। लड़के ने उन्हें देखकर पूछा, 'आप कौन हैं?' बुद्ध ने उत्तर दिया, 'मैं अपने शरीर को काबू में रखने वाला एक आदमी हूं।'
लड़का उनकी बात समझ नहीं पाया और बोला, 'मैं आपकी बात का मतलब नहीं समझा। कृपा करके विस्तारपूर्वक समझाएं।' इस पर बुद्ध ने कहा, 'देखो, जो तीर चलाना जानता है, वह तीर चलाता है, जो नाव चलाना जानता है, वह नाव चलाता है और जो मूर्ति बनाना जानता है वह मूर्ति बनाता है। लेकिन जो ज्ञानी है, वह अपने ऊपर शासन करता है।' लड़के ने पूछा 'वह कैसे?' बुद्ध ने जवाब दिया, 'अगर कोई उसकी प्रशंसा करता है तो उसका मन चंचल नहीं होता। अगर कोई उसकी निंदा करता है तो भी वह शांत रहता है। ऐसा आदमी हमेशा सुखी रहता है। यह सबसे बड़ी कला है।'
लड़का उनका आशय समझ गया। उसने वचन दिया कि वह अपने भीतर से अपना अहंकार निकाल बाहर करेगा।
वह हमेशा सबसे कहता फिरता, 'मेरे बराबर दुनिया में कोई गुणवान नहीं है।' संयोग से उन्हीं दिनों गौतम बुद्ध घूमते हुए वहां आ पहुंचे। उन्हें जब उस लड़के के बारे में पता चला तो वह भिक्षापात्र लेकर उसके पास पहुंच गए। लड़के ने उन्हें देखकर पूछा, 'आप कौन हैं?' बुद्ध ने उत्तर दिया, 'मैं अपने शरीर को काबू में रखने वाला एक आदमी हूं।'
लड़का उनकी बात समझ नहीं पाया और बोला, 'मैं आपकी बात का मतलब नहीं समझा। कृपा करके विस्तारपूर्वक समझाएं।' इस पर बुद्ध ने कहा, 'देखो, जो तीर चलाना जानता है, वह तीर चलाता है, जो नाव चलाना जानता है, वह नाव चलाता है और जो मूर्ति बनाना जानता है वह मूर्ति बनाता है। लेकिन जो ज्ञानी है, वह अपने ऊपर शासन करता है।' लड़के ने पूछा 'वह कैसे?' बुद्ध ने जवाब दिया, 'अगर कोई उसकी प्रशंसा करता है तो उसका मन चंचल नहीं होता। अगर कोई उसकी निंदा करता है तो भी वह शांत रहता है। ऐसा आदमी हमेशा सुखी रहता है। यह सबसे बड़ी कला है।'
लड़का उनका आशय समझ गया। उसने वचन दिया कि वह अपने भीतर से अपना अहंकार निकाल बाहर करेगा।
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