''नोचते भी गए ,लुटते भी गए देश के नेता सिर्फ यही जाने ,
जीना तो उसी का जीना है जो लूटना अपने वतन को जाने "
''ऐ वतन ऐ वतन हम को तेरी कसम |
तुझे बेच के ही पूरा अब दम लेंगे हम |
मात्रभूमि क्या चीज़ है विदेशियों के कदमो में हम ,
इस देश के स्वाभिमान को चढ़ा जायेंगे
"ऐ वतन ऐ वतन ........
''कोई अमरीका से ,कोई ऑस्ट्रेलिया से ,कोई चाइना से है कोई है ब्रिटेन से ,
विदेशी कम्पनियो को फिर से बुला बुला के लाये है है हम
"हर इक राष्ट्र से दुनिया के हर इक कोनो से ,
हर इक राष्ट्र से दुनिया के हर इक कोनो से ........
पार्टी कोई भी सही पर धर्म (पैसा) एक है |
घोटालो पे घोटाले करते जायेंगे हम |
"ऐ वतन ऐ वतन ........
''हम रहें न रहें इसका कुछ गम नहीं ,
इस देश को तो पूरा नोंच खायेंगे हम |
"हमारी पीढियां ऐश से जियेंगी तो क्या
माँ भारती को पूरा लहू लुहान कर जायेंगे हम |
माँ भारती को पूरा लहू लुहान कर जायेंगे हम.............
बेच के विदेशियों के हाथो में इस देश को
देखना फिर से गुलाम हम बना जायेंगे |
"ऐ वतन ऐ वतन ........
"तेरी जानिब उठी जो सरफरोशी की लहर ,
उस लहर को मिटाते ही जायेंगे हम
"मेरे विदेशी खातो पे जो रखी तुने कहर की नज़र ,
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम ...........
जो भी पद आएगा , अब सामने
उस पद की गरिमा को भी हम मिटा जायेंगे |
"ऐ वतन ऐ वतन ........
"चाहे गालियाँ दो,या मुहं पे थप्पड़ जड़ो ,
देश को बेचने अब हम चल दिए
बहुमत दिया था लोगो ने जिस हाथ से ,
उन्हें विदेशी बेड़ियों में जकड के हम निकल लिए
" तुम न देखोगे कल की बहारे तो क्या
अपनी पीढ़ियों के लिए तो हम कमा जायेंगे |
''ऐ वतन ऐ वतन हम को तेरी कसम |
तुझे बेच के ही पूरा अब दम लेंगे हम |
..................
लेखक
राजेश कुमार
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