लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन हादसे को अब लोग भूल चुके हैं लेकिन 74 वर्षीय ओंकार नाथ शर्मा ने उसे अपने जुनून में जिंदा रखा। हादसे के दिन उन्होंने देखा था कि पीड़ित लोग अस्पतालों में दवा के लिए भटक रहे हैं और उसी दिन से उन्होंने अस्पतालों, एनजीओ, चेरिटेबल संस्थानों को दवा देना शुरू कर दिया। वह भी एकदम मुफ्त। दवा लाने के लिए उन्होंने इलाके-इलाके भ्रमण करना शुरू कर दिया और लोगों से उन दवाओं को मांगने लगे जो उनके लिए बेकार हो चुकी हैं।
शनिवार और रविवार को वह सरकारी क्वार्टर्स वाली कालोनियों को अपना निशाना बनाते हैं। आर. के. पुरम, किदवई नगर, मोती बाग, राम नगर, मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग, तिलक नगर, हरी नगर जैसे इलाकों में ओंकार नाथ का नाम काफी लोकप्रिय है। वह कालोनियों में जाते हैं और लोगों से अनुरोध करते हैं कि बची हुई दवाइयां उनको दे दें। दवा एकत्र करने के बाद वह किसी एकांत स्थान में बैठ जाते हैं और हर दवा पर लिखे एक्सपायरी डेट को देखते हैं। जिस दवा का एक्सपायरी डेट निकल चुका होता है उसे वह कूड़े में डाल देते हैं। एक्सपायरी डेट बरकरार रहने वाली दवाओं की वह सूची बनाते हैं जिनमें दवा का नाम, एक्सपायरी डेट, बैच नम्बर आदि का उल्लेख करते हैं। सूची वह राहत ही राहत नामक संस्था के बैनर तले बनाते हैं। सूची तैयार होने के बाद वह डा. राम मनोहर लोहिया, दीनदयाल उपाध्याय, गुरु अंगद देव चेरीटेबल अस्पताल, राजेंद्र नगर सनातन धर्म मंदिर के औषधालय में जाकर दवाएं वितरित करते हैं। वहां पर उपस्थित डाक्टर उन दवाओं की जांच करते हैं उसके बाद मरीजों को देने के लिए अनुमति दे देते हैं। दवा मांगने के लिए जब ओंकार नाथ कालोनियों में जाते हैं तो वह खास ड्रेस में होते हैं ताकि उनको देखकर लोग आसानी से समझ सकें कि वह अनुपयोगी दवाएं देने के लिए आए हैं। ड्रेस के ऊपर उनको मोबाइल नम्बर 9250243298 लिखा होता है ताकि इच्छुक लोग उनसे बाद में भी संपर्क कर सकें। वह कहते हैं कि जीवन के अंतिम क्षणों तक अब वह यही काम करना चाहते हैं। अच्छा काम है
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. एन. पी. सिंह ने बताया कि दवाएं बेकार नहीं होनी चाहिए क्योंकि कई ऐसे गरीब मरीज हैं जिनकों दवाएं नहीं मिल पाती हैं। बेकार दवाओं को उपयोगी बनाने के लिए ही तमाम अस्पतालों में दवा बैंक बने होते हैं। जिस किसी व्यक्ति के पास अनुपयोगी दवाएं हैं उसको यह कोशिश करनी चाहिए कि उसे अस्पताल तक पहुंचा दें। अगर कोई संस्था या व्यक्ति यह काम करता है तो यह एक अच्छी बात है। हां, इतना जरूर है कि डाक्टरों द्वारा जांच के बगैर ये दवाएं किसी भी हालत में मरीजों तक नहीं पहुंचनी चाहिए।
शनिवार और रविवार को वह सरकारी क्वार्टर्स वाली कालोनियों को अपना निशाना बनाते हैं। आर. के. पुरम, किदवई नगर, मोती बाग, राम नगर, मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग, तिलक नगर, हरी नगर जैसे इलाकों में ओंकार नाथ का नाम काफी लोकप्रिय है। वह कालोनियों में जाते हैं और लोगों से अनुरोध करते हैं कि बची हुई दवाइयां उनको दे दें। दवा एकत्र करने के बाद वह किसी एकांत स्थान में बैठ जाते हैं और हर दवा पर लिखे एक्सपायरी डेट को देखते हैं। जिस दवा का एक्सपायरी डेट निकल चुका होता है उसे वह कूड़े में डाल देते हैं। एक्सपायरी डेट बरकरार रहने वाली दवाओं की वह सूची बनाते हैं जिनमें दवा का नाम, एक्सपायरी डेट, बैच नम्बर आदि का उल्लेख करते हैं। सूची वह राहत ही राहत नामक संस्था के बैनर तले बनाते हैं। सूची तैयार होने के बाद वह डा. राम मनोहर लोहिया, दीनदयाल उपाध्याय, गुरु अंगद देव चेरीटेबल अस्पताल, राजेंद्र नगर सनातन धर्म मंदिर के औषधालय में जाकर दवाएं वितरित करते हैं। वहां पर उपस्थित डाक्टर उन दवाओं की जांच करते हैं उसके बाद मरीजों को देने के लिए अनुमति दे देते हैं। दवा मांगने के लिए जब ओंकार नाथ कालोनियों में जाते हैं तो वह खास ड्रेस में होते हैं ताकि उनको देखकर लोग आसानी से समझ सकें कि वह अनुपयोगी दवाएं देने के लिए आए हैं। ड्रेस के ऊपर उनको मोबाइल नम्बर 9250243298 लिखा होता है ताकि इच्छुक लोग उनसे बाद में भी संपर्क कर सकें। वह कहते हैं कि जीवन के अंतिम क्षणों तक अब वह यही काम करना चाहते हैं। अच्छा काम है
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. एन. पी. सिंह ने बताया कि दवाएं बेकार नहीं होनी चाहिए क्योंकि कई ऐसे गरीब मरीज हैं जिनकों दवाएं नहीं मिल पाती हैं। बेकार दवाओं को उपयोगी बनाने के लिए ही तमाम अस्पतालों में दवा बैंक बने होते हैं। जिस किसी व्यक्ति के पास अनुपयोगी दवाएं हैं उसको यह कोशिश करनी चाहिए कि उसे अस्पताल तक पहुंचा दें। अगर कोई संस्था या व्यक्ति यह काम करता है तो यह एक अच्छी बात है। हां, इतना जरूर है कि डाक्टरों द्वारा जांच के बगैर ये दवाएं किसी भी हालत में मरीजों तक नहीं पहुंचनी चाहिए।
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